वो मेरी दोस्त है।
पर उसने, कभी कहा नहीं
कुछ मुझसे...!
चुपचाप हमेशा, मेंरे साथ रहती है!
उसने कभी रोका नहीं मुझे,
कितने ही ऊबड़-खाबड़,
ऊँचे-नीचे रास्तों पर जाने से!
उसके मुख से
कभी मुझे सुनाई नहीं दी
कोई उन्मुक्त हँसी और
ना ही कभी दिखाई दिए
रुदन के आँसू।
वो तो बस जैसे
धरती पर मेरा आधार बन
मुझे उठाती रही हर वक़्त,
दिखलाती रही मुझे मेरे ही अंतर-बिंब,
और, रातों में जैसे धरती से उठ
आ गई मेरे गिर्द
मुझे उन क्रूर अंधेरों से
बचाने के लिए!
०४०५१९





