मैत्री-भाव संवाद


मेरे भावों की बस्ती में,
आज बड़ा इक शोर हुआ;
‘आँसू’ जो दिखते ही ना थे,
नृत्य बड़ा घनघोर हुआ;
‘विदा’ भाव जो छोड़ चुके थे
बस्ती का कोना कोना;
आज दिखें वो हर गलियारे,
और उन्ही का जोर हुआ।

आँख तरेरे ‘क्रोध’ ने पूछा,
‘खुशी’ की नानी ‘सुखिया’ से,
“क्यों स्वामी ने बुलवाया है,
‘अश्रु’ भाव को बस्ती में?”
सुनकर ‘सुखिया’ की आँखों का
गीला हर इक कोर हुआ।
मेरे भावों की बस्ती में,
आज बड़ा इक शोर हुआ। 

शुरु किया ‘सुखिया’ ने बोलना,
“बोली, बात पुरानी है;
‘खुशियाँ’ और ‘मेरे’ जीवन की
सौ में एक कहानी है।”
‘जिज्ञासा’ की जिज्ञासा का
असर दिखा चहुँओर हुआ।
मेरे भावों की बस्ती में,
आज बड़ा इक शोर हुआ।

“स्वामी मित्र आए थे वापस
साथ उन्हीं के रहने को;
चाह रहे थे दोनों मिलकर
और माँजना जीवन को;
दोनों के चेहरों पर छाया,
‘मुसकानों’ का बौर हुआ।”
मेरे भावों की बस्ती में,
आज बड़ा इक शोर हुआ।

“साथ घूमते, साथ खेलते,
साथ ‘हमें’ ले चलते थे,
बतियाते रहते दिन भर वो
किन्तु तनिक ना थकते थे,
पहले तो थोड़ा जाने थे,
अभी जानना और हुआ।
मेरे भावों की बस्ती में,
आज बड़ा इक शोर हुआ।

“हृदय, हृदय से अब मिलते थे,
शंका कम होती जाती,
कहते थे ‘कितना अच्छा हो,
साथ ज़िंदगी कट पाती!’
‘अश्रु’ छोड़ बस्ती भागे और
‘प्रेम’ भाव सिरमौर हुआ।
मेरे भावों की बस्ती में,
आज बड़ा इक शोर हुआ।

“दोनों मित्रों की प्रगाढ़ता
चरम बिन्दु को छूती थी;
एक मित्र की बात, दूसरे को
बिन बोले मिलती थी;
‘खुशियाँ’और ‘मैं” सोच रहे,
रहने का निश्चित ठौर हुआ। 
मेरे भावों की बस्ती में,
आज बड़ा इक शोर हुआ।

‘सुखिया’ नानी बोली आगे,
“यहीं हमारी भूल हुई,”
“रात आएगी नहीं याद था,
बुद्धि बड़ी स्थूल हुई,”
चौंके  घबराये हम दोनों,
रवि पश्चिम की छोर हुआ।”
मेरे भावों की बस्ती में,
आज बड़ा इक शोर हुआ।

सब भावों ने पूछा डरकर
“फिर क्या सूरज डूब गया!”
घबराये, बोले “बतलाओ,
क्यूँ स्वर तेरा टूट गया?”
बेचैनी बढ़ती जाती थी
‘आशंका’ का जोर हुआ। 
मेरे भावों की बस्ती में,
आज बड़ा इक शोर हुआ।

सिसकी लेती बोली सुखिया
“मैं ना साथ निभा पाई। 
पर मैं भी किस्मत से डरती,
उससे ना न कह पाई;
आना पड़ा छोड़कर उनको,
पाप बड़ा ये घोर हुआ।”
मेरे भावों की बस्ती में,
आज बड़ा इक शोर हुआ।

“आज बिछड़‌ना है मीता से,
स्वामी का मन भीगा है;
वो भी उस प्यारे मीता से,
उनके प्राण सरीखा है।”
कह कर ‘सुखिया’ की आँखों से
अश्रुधार का दौर हुआ।
मेरे भावों की बस्ती में,
आज बड़ा इक शोर हुआ।

Leave a Comment