जब देखा तू वापस आई


शोकाकुल तेरे विछोह में;
व्याकुल-सा यादों  में,
आज खुश हुआ मेरा मन,
जब देखा तू वापस आई। 
खोया था तेरे सपनों में
तेरी ही बातों में,
टूट गयी तन्द्रा मेरी,
जब देखा तू वापस आई। 

कैसे काटे दिन अनगिने,
समय का लाँघा दरिया;
कैसे दिल को आस बँधाई,
दिखा चकोरी चिरिया। 
कैसे रोक रहा आँखों के
आँसू तू क्या जाने,
सोचा ‘कह दूंगा तुझसे’,
जब देखा तू वापस आई। 

कब तक आँखे करे प्रतीक्षा,
राह हो गई सूनी;
सोच रहा था कल ही ये,
जब हुई निराशा दूनी। 
भारी पलकें झुके नेत्र
किन्तु देर कुछ और,
चमक गईं आँखे मेरी,
जब देखा तू वापस आई। 

दिन फिर होंगे वहीं पुराने,
होंगी नई कहानी;
बागों में चिड़िया गाएंगी,
लेकर तान सुहानी।
खुशियों का अब अन्त नहीं है,
बस इक बात बताऊँ,
खुली आँख सपने आएँ,
जब देखा तू वापस आई।