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एक अजन्मे को पत्र
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SUHAS MISHRA - अनहद की कलम से

प्रेम सजाना पड़ता है

ये इतनी आसां बात नहीं, तुम नदी नहा कर मुक्त हुए; ये इतना सरल नहीं रस्ता, तुम मक्का जा आजाद हुए।खुद को पिघलाना पड़ता है, खुद को मिट जाना पड़‌ता …

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गीत-गवैया लगता है

उसको अपना पूरा जीवन, भूल-भुलैया लगता है। जिन राहों पर वो बढ़ता है, जिन मोड़ों पर वो मुड़ता है, अंधे राह-मोड़ वो लगते, कभी खिवैया लगता है।उसको अपना पूरा जीवन, …

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द्विविधा, शिकायत और दर्द के स्वर

जहाँ में काम करना है, जहाँ में हो रहा सब खुद,जहाँ होना है करता हूँ, जहाँ करना है तकता हूँ। जहाँ करने में हक मेरा, वहाँ मैं चूक जाता हूँ, …

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