आज अम्बर नाचता है…
बादलों की गरजना की ढोल की-सी ताल पर,पवन संगत कर रही है तरुवरों से वाद्य पर;पाँव धरती पर पड़ें, उठते मधुर झंकार कर,आज अम्बर नाचता है, घुंघरुओं को बाँध कर। …
बादलों की गरजना की ढोल की-सी ताल पर,पवन संगत कर रही है तरुवरों से वाद्य पर;पाँव धरती पर पड़ें, उठते मधुर झंकार कर,आज अम्बर नाचता है, घुंघरुओं को बाँध कर। …
अभी तो ज़िंदगी का सवेरा बीता ही है! अब तलक तो जिए हैं बस उस सुबह की नर्म तरावट में…! अभी दिन की तपिश और रात के अंधकार से वास्ता …