SUHAS MISHRA
मुस्काता हँस जाता था…
मिलन की आस ही कुछ ऐसी है कि मन सब भूल बस अपने प्रिय की ही याद और उसका ही इंतज़ार करता रहता है! और जो ना मिल पाए… तो …
… तुमको ये क्या हुआ!
मन की खुशी को मैं बाँध नहीं पाता हूँ,और किसी और से मैं बाँट नहीं पाता हूँ;दौड़ूँ मैं, भागूँ मैं, मिलने की जल्दी में,बिछड़े, बरस बीते, जोड़ नहीं पाता हूँ। …