पद्य-विषय

लिख दूँ कोई कोई शेर, कोई नगमा तुझ पर…! बाखुदा वो अल्फ़ाज़ ही नहीं, जो तेरे हुस्न की वज़ाहत कर दें…! लिखने को मन की बातों को, बैठा उदित चंद्र …

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… तुमको ये क्या हुआ!

मन की खुशी को मैं बाँध नहीं पाता हूँ,और किसी और से मैं बाँट नहीं पाता हूँ;दौड़ूँ  मैं, भागूँ मैं, मिलने की जल्दी में,बिछड़े, बरस बीते, जोड़ नहीं पाता हूँ। …

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जल-प्रलय

वासनाओं के वशीभूत हो जब मनुष्य अंधी दौड़ में लग जाता है,तो लाभ और लोभ का अंतर तक भूल जाता है।माँ प्रकृति हर पल हमारे पोषण और कल्याण के लिएअपना …

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