विवाह- मिलन दो आत्माओं का

है मिलन नहीं दूजा ऐसा, दो स्वयं मिले स्व मिला लिए;बन्धन आत्माओं का स्वतन्त्र, अनजान अभी, अब जान लिए। जो परम आत्म को तुम चाहो, बन्धन ये तुम्हें दिखा भी …

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उफ्फ़, लेकिन यह तो सपना था!

मैं छत पर बैठा ऊँघा-सा,उसकी छत कुछ पास हो आई,सखियों संग बतियाता देखा,उफ्फ़, लेकिन यह तो सपना था! नज़र मिलाई जानबूझकर,देख रही मुझको मुस्काकर,मैं ज़िद्दी मुंह फेर रहा था,उफ्फ़, लेकिन …

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क्यूँ व्याकुल हूँ मैं!

प्रेम में तो व्यग्रता होती ही है,जो प्रेम ना है तो भी क्यूँ व्याकुल हूँ मैं?!ब्याहने की चाह तुमको है नहीं,हो गईं ओझल तो क्यूँ आकुल हूँ मैं?! आज भी …

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जब देखा तू वापस आई

शोकाकुल तेरे विछोह में; व्याकुल-सा यादों  में,आज खुश हुआ मेरा मन, जब देखा तू वापस आई। खोया था तेरे सपनों में तेरी ही बातों में,टूट गयी तन्द्रा मेरी, जब देखा तू …

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