एक अजन्मे को पत्र

इस पत्र को तुम न समझना मात्र इसके शब्दों से ही… समझना इसके गूढ़ अर्थ को…!ये न समझ लेना कि जन्म लेना व्यर्थ है…!बल्कि जन्मने के पहले ओ’ इस धरती …

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मित्र-वियोग

अमवा के वृक्ष पर अमिया जब आ गईं,रमवा के बाग में हरियाली छा गई;देख-देख अमिया प्रसन्न होए जाता था,रमवा खुशी से घर, सर पर उठाता था।दिन-दिन तो घंटा में बीते …

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मैत्री

कल तक की मैं बात बताऊँ, मीत एक संग रहता था;वो कहता था मैं सुनता था, मैं कहता वो सुनता था। कई बरस तक साथ रहे, यादों में पीछे जाता …

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मन मंथन

ये व्यग्रता, ये आकुलता, और ये विचारों का सैलाब! मगर इस सैलाब में कहाँ है उस भीगेपन का अहसास, और उस भीगने से मिली तृप्ति।कहीं कुछ और है इस सैलाब …

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