बेबस, मौन विछोह
कितना मुश्किल साथ में चलना,साथ छोड़ फिर चलना,कितना मुश्किल रुक जाना है, मोड़ साथ में मुड़ना…!उम्र साथ ना साथ हौसला,ना विश्वास किसी का,कितना मुश्किल मुड़के देखना,मोड़ अजाने मुड़ना…! बहुत आहिस्ता …
कितना मुश्किल साथ में चलना,साथ छोड़ फिर चलना,कितना मुश्किल रुक जाना है, मोड़ साथ में मुड़ना…!उम्र साथ ना साथ हौसला,ना विश्वास किसी का,कितना मुश्किल मुड़के देखना,मोड़ अजाने मुड़ना…! बहुत आहिस्ता …
कभी-कभी जिंदगी में हम अपने दुख में इतने डूब जाते हैं कि उसके सिवा और कुछ नज़र ही नहीं आता…! ना कोई दोस्त, ना हमदर्द… ! कोई मित्र जब अपने …
कल जो नज़र आता था सच, बिलाशक; आज दिखता है झूठ का बेदर्द चेहरा…! और कल…? कल तो तय करेगा वक़्त का हर आता लम्हा…! वहम, भरम के परदे ढाँप …
दोस्ती और प्यार कभी खत्म नहीं होता…!छिप सकता है कुछ देर को, वक्त की घनी, गहरी धुंध में…!और छटते ही उस धुंध के, फिर खिल उठता है अपनी उसी मासूम …