मैत्री और प्रेम
हम मिल ही गए!
उस पूनम को मैंने तुम्हे चाँद में देखा!मैंने देखा कि तुम एक रात-रानी सेफुसफुसाते कुछ कहती हो…!मैं अपने आँगन में पूछता हूँ इक गुलाब की पंखुड़ी से,”जागती हो, अभी सोई …
तीन प्रेम कविताएँ
एक- तुम बड़ी मीठी हो तुम बड़ी मीठी हो प्रिये!सुबह कमल की पंखुड़ी पर पड़ीओस की बूँद की तरह।रात, छत पर अचानक बह चलीहवा की तरह।और सन्ध्या की तुलसी की …





