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एक अजन्मे को पत्र
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मैत्री और प्रेम - अनहद की कलम से

परछाई

वो मेरी दोस्त है।पर उसने, कभी कहा नहीं कुछ मुझसे…!चुपचाप हमेशा, मेंरे साथ रहती है!उसने कभी रोका नहीं मुझे,कितने ही ऊबड़-खाबड़,ऊँचे-नीचे रास्तों पर जाने से!उसके मुख से कभी मुझे सुनाई …

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हम मिल ही गए!

उस पूनम को मैंने तुम्हे चाँद में देखा!मैंने देखा कि तुम एक रात-रानी सेफुसफुसाते कुछ कहती हो…!मैं अपने आँगन में पूछता हूँ इक गुलाब की पंखुड़ी से,”जागती हो, अभी सोई …

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तीन प्रेम कविताएँ

एक- तुम बड़ी मीठी हो तुम बड़ी मीठी हो प्रिये!सुबह कमल की पंखुड़ी पर पड़ीओस की बूँद की तरह।रात, छत पर अचानक बह चलीहवा की तरह।और सन्ध्या की तुलसी की …

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चंद शेर

एक तुम्हें याद करने की आदत नहीं है, तुम्हें भूलने का ना कोई सलीका,तुम्हारी नज़र राह पर, रहगुजर से- जुदाई में क्या रस्में-यारी निभाना!! दो दिल में दर्द होने का …

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