क्यूँ व्याकुल हूँ मैं!

प्रेम में तो व्यग्रता होती ही है,जो प्रेम ना है तो भी क्यूँ व्याकुल हूँ मैं?!ब्याहने की चाह तुमको है नहीं,हो गईं ओझल तो क्यूँ आकुल हूँ मैं?! आज भी …

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जब देखा तू वापस आई

शोकाकुल तेरे विछोह में; व्याकुल-सा यादों  में,आज खुश हुआ मेरा मन, जब देखा तू वापस आई। खोया था तेरे सपनों में तेरी ही बातों में,टूट गयी तन्द्रा मेरी, जब देखा तू …

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प्रतीक्षा

उस एक क्षण को कैद कर लूँकि जब तुम्हें पाता हूँ, अपनी आँखो के सामने,कभी चंचल, उच्छृंखल, कूदती-उछलतीं तुम,स्वयं में लीन अंत तक… अहा! क्या खुशी।कभी गंभीर, व्यस्त सोचों में,परिपक्व, …

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मैत्री-भाव संवाद

मेरे भावों की बस्ती में, आज बड़ा इक शोर हुआ;‘आँसू’ जो दिखते ही ना थे, नृत्य बड़ा घनघोर हुआ;‘विदा’ भाव जो छोड़ चुके थे बस्ती का कोना कोना;आज दिखें वो …

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