प्रभु मेरे, इतनी भक्ति भर मुझमें!
रमण पढ़ो, शंकर पढ़ो, पढ़ो कोई परमहंस,तुझमें ही डूबा दिखे, योगी स्वनिरअंस।प्रभु मेरे, इतनी शक्ति ना मुझमें।प्रभु मेरे, इतनी भक्ति भर मुझमें। पत्तों को नहराता जाऊँ, और स्वयं को छलता …
रमण पढ़ो, शंकर पढ़ो, पढ़ो कोई परमहंस,तुझमें ही डूबा दिखे, योगी स्वनिरअंस।प्रभु मेरे, इतनी शक्ति ना मुझमें।प्रभु मेरे, इतनी भक्ति भर मुझमें। पत्तों को नहराता जाऊँ, और स्वयं को छलता …
प्रभु मेरे, मैं तुझे चिठिया भेजूँ। पर नहीं जानूँ तोरा गाँव, नगरवा,का करूँ किस बिध भेजूँ!ओ प्रभु मेरे, मैं तुझे चिठिया भेजूँ।कोई कहत तू जगत समाया,और कहत जग तुझमें बसाया,मैं …
इस तरफ़, इस तरफ़औ’ इस तरफ़ मैं बढ़ रहा….मैं बढ़ते-बढ़ते रुक रहा,मैं रुकते-रुकते चल रहा,कि आँख की किनार से, अदृश्य को मैं तक रहा।कोई पुकारता मुझे, सुदूर से,”सराय है,”कुछ पहर, …