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बस तुमको मालूम नहीं था
“कुछ झाँकता है उस धुंधलके से…! ओह! वो तो दिखता है आने वाला मेरा ही कल…!” “क्या वो जो तुमने ही लिखा था उस बीते हुए कल के हर बीतते …
रोम रोम में
जीवन के बड़े गूढ़ फ़लसफ़े हैं। कुछ बस लफ़्ज़ों में जिंदा रहते हैं, पर हमे महसूस होता है कि हम उन जीवित-से लफ़्ज़ों को बहुत करीब से जी रहे हैं…। …