श्री बद्रीनाथ गिरी
दिन बीता।बीता, दिन के साथ-साथ, जीवन बीता।भोर समय कोहरे ने गिरी का तन ढापा, सूरज के सम्मुख नतमस्तक-पिघला जाता।आदित्य और हिमपर्वत की उज्जवल आभा,मुख खिला देख दृश को, सुख की …
दिन बीता।बीता, दिन के साथ-साथ, जीवन बीता।भोर समय कोहरे ने गिरी का तन ढापा, सूरज के सम्मुख नतमस्तक-पिघला जाता।आदित्य और हिमपर्वत की उज्जवल आभा,मुख खिला देख दृश को, सुख की …
दर्द गहराई देता है।पर उस दर्द की सतह पर ना रुक जाओ।उतरो उस दर्द की गहराई में;गहरे… और गहरे, तब पाओगे,सिर्फ गहराई है,दर्द तो नदारद है! ०८१०१८