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एक अजन्मे को पत्र
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प्रेरक - अनहद की कलम से

तुम नारी हो

एक करिश्मा हो तुम,तुम हो एक नदी,जो बहती है, जीवन के एक छोर से दूसरे छोर तक-बहने के लिए!बहती है, तमाम ऊबड़-खाबड़ रास्तों से बेखबर,और पा लेती है अपना समुंदर,-हवा …

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अपने रूप में रहो!

ज़िंदगी की दौड़ में,मुकाबले औ’ होड़ में,दूसरे से जीतने को दौड़ता!किंतु चक्र में सभी,हैं दौड़ते अभी-अभी,है कौन आगे, किसको पीछे छोड़ता?!ज़िंदगी की दौड़ में,देखो जोड़-तोड़ में,दौड़ किससे जीतते या हारते?!इक …

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हर वक़्त मैं जवाँ हूँ

था रंग जवानी का औ’ रोशन थी ज़िंदगी,हासिल थी हरिक शै, ना गुलामी ना बंदगी;हर यार कह रहा था, मुकद्दर कमाल है,परवाज़ है फ़लक पे औ’ हासिल है बुलंदी।हर वक़्त …

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आम्रवृक्ष

ये उत्सव, ये पर्व, ये त्यौहार…!ये प्रकृति हंसती है, झूमती है, नाचती है, अपने ही ढंग से…!ये प्रेम, ये ममता और ये अपनापन…!ये प्रकृति जताती है, निभाती है, फुसफुसाती हैअपने …

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