आज अम्बर नाचता है…
बादलों की गरजना की ढोल की-सी ताल पर,पवन संगत कर रही है तरुवरों से वाद्य पर;पाँव धरती पर पड़ें, उठते मधुर झंकार कर,आज अम्बर नाचता है, घुंघरुओं को बाँध कर। …
बादलों की गरजना की ढोल की-सी ताल पर,पवन संगत कर रही है तरुवरों से वाद्य पर;पाँव धरती पर पड़ें, उठते मधुर झंकार कर,आज अम्बर नाचता है, घुंघरुओं को बाँध कर। …
मन की खुशी को मैं बाँध नहीं पाता हूँ,और किसी और से मैं बाँट नहीं पाता हूँ;दौड़ूँ मैं, भागूँ मैं, मिलने की जल्दी में,बिछड़े, बरस बीते, जोड़ नहीं पाता हूँ। …