स्वप्न

दिखे जो आँख बंद होने पर, शरीर के सोने, मन के लेट जाने पर,वही स्वप्न है, एक मृदु असत्य। व्यक्तियों की असमय जमावट, परिवर्तित मूल की बनावट,वही स्वप्न है, एक अकथित कथ्य।  …

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एक अजन्मे को पत्र

इस पत्र को तुम न समझना मात्र इसके शब्दों से ही… समझना इसके गूढ़ अर्थ को…!ये न समझ लेना कि जन्म लेना व्यर्थ है…!बल्कि जन्मने के पहले ओ’ इस धरती …

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मन मंथन

ये व्यग्रता, ये आकुलता, और ये विचारों का सैलाब! मगर इस सैलाब में कहाँ है उस भीगेपन का अहसास, और उस भीगने से मिली तृप्ति।कहीं कुछ और है इस सैलाब …

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