अनुभव-शून्य
अभी तो ज़िंदगी का सवेरा बीता ही है! अब तलक तो जिए हैं बस उस सुबह की नर्म तरावट में…! अभी दिन की तपिश और रात के अंधकार से वास्ता …
अभी तो ज़िंदगी का सवेरा बीता ही है! अब तलक तो जिए हैं बस उस सुबह की नर्म तरावट में…! अभी दिन की तपिश और रात के अंधकार से वास्ता …
इस पत्र को तुम न समझना मात्र इसके शब्दों से ही… समझना इसके गूढ़ अर्थ को…!ये न समझ लेना कि जन्म लेना व्यर्थ है…!बल्कि जन्मने के पहले ओ’ इस धरती …