कविता

कविता…मात्र एक कवि की स्व–अभिव्यक्ति या उसके पार भी कुछ और? यूँ अनुभव होता है कि एक कवि की अंगुलियों और कंठ से अभिव्यक्त होने के बहुत पहले ही एक …

Read more

“माँ”- मेरी प्रथम गुरु

तिनका–तिनका जोड़ कर अपनी जिंदगी के हर लम्हे से, वो हमारे हिस्से का वक़्त बुनती है! कभी खामोशी से और कभी तेज़ आवाज़ से; कभी अपनी आंखों के महीन इशारे से …

Read more