क्यों ना तुम फिर से लिख डालो!

कभी-कभी जिंदगी में हम अपने दुख में इतने डूब जाते हैं कि उसके सिवा और कुछ नज़र ही नहीं आता…!
ना कोई दोस्त, ना हमदर्द… !
कोई मित्र जब अपने कोमल,भावुक शब्दों से झकझोरता है तब आता है होश कि इस दुख के सिवा भी है ज़िंदगी…! हैं वो दोस्त जिनके प्यार भरे अल्फ़ाज़ मरहम बन भर देते हैं वो गहरे दुख के ज़ख्म …!
वो दोस्त जो खुद परेशां हैं अपनी ज़िंदगी के दुखों से…! देखते हैं इक उम्मीद से कि भर सकें उनके भी ज़ख्म, हमारे प्यार भरे अल्फ़ाज़ों से …!