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एक अजन्मे को पत्र
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प्रभु मेरे, मैं तुझे चिठिया भेजूँ - अनहद की कलम से

प्रभु मेरे, मैं तुझे चिठिया भेजूँ

प्रभु मेरे, मैं तुझे चिठिया भेजूँ। 
पर नहीं जानूँ तोरा गाँव, नगरवा,
का करूँ किस बिध भेजूँ!
ओ प्रभु मेरे, मैं तुझे चिठिया भेजूँ।

कोई कहत तू जगत समाया,
और कहत जग तुझमें बसाया,
मैं मूरख कछु समझ ना पाऊँ
कौन-कौन दर खोजूँ.........
प्रभु मेरे, मैं तुझे चिठिया भेजूँ।

कहें हिया मोरा, तोरा ठिकाना,
सत्य कहूँ मैं ना पहिचाना,
धुँधरी आँख कछु देख ना पाऊँ
कैसे दृष्टि सहेजूँ.........
प्रभु मेरे, मैं तुझे चिठिया भेजूँ।

जनम-जनम मैं, खबर ना लीन्ही,
कहेें रिसी, छवि धुंधली कीन्ही,
अब उपाय कछु सूझ ना पाए,
कौन मुरतिया पूजूँ.........
प्रभु मेरे, मैं तुझे चिठिया भेजूँ।

भगत करें असुअन नहराओ,
निरमल छवि प्रभु सीस नवाओ,
भजन-गीत तेरे जस के गाऊँ
एही विधि चिठिया भेजूँ.........
प्रभु मेरे, मैं तुझे चिठिया भेजूँ!
हिय में, मैं तुझे चिठिया भेजूँ!

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